सहयोग विहार काॅलोनी में श्रीमद् भागवत कथा का समापन
भोपाल। बावड़ियाकलां स्थि सहयोग विहार काॅलोनी में आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन भक्ति, प्रेम और वैराग्य की गंगा में श्रद्वालुओं ने जमकर डुबकी लगाई। सुदामा चरित्र, प्रभु भक्ति और भावगत कथा की महिमा के श्रवण के दौरान श्रद्वालु कृष्ण भक्ति में खूब हिलोरें लेते रहे और कथा के अंत में भक्ति गीतों से भाव-विभोर होकर श्रद्वालु खुद को झूमने से नहीं रोक सके। हवन और भंडारे के साथ शनिवार को सात दिवसीय भागवत कथा का समापन हुआ। कथा का श्रवण करने प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग भी पहुंचे, व्यासपीठ पर माथा टेका तथा स्वामीजी से आशीर्वाद लिया।
व्यासपीठ से कथावाचक जगदगुरू रामानंदाचार्य श्री श्री 1008 स्वामी श्री वल्लभाचार्य जी ने कहा कि भक्ति में इतनी दया है कि यदि कोई झूठे से भगवान से प्रेम का नाटक करे, तो भगवान उसकी सुनने चले आते हैं। ऐसे में जो लोग सचमुच राधे को याद करेंगे तो वे भगवान के कितने पास होंगे समझा जा सकता है। स्वामी जी ने कहा कि जिनके जीवन में भगवनधन है वहीं दुनिया का सबसे धनवान है। संतों ने अनुभव किया है कि बिना मांगे सब मिलता है। बस, ठाकुरजी में ध्यान लगाओ।
सुदामा चरित्र में स्वामी जी ने बताया कि सखा सुदामा की दयनीय हालत देखकर भगवान कृष्ण भी इतने दुःखी हो गए कि जिस जल से सुदामा के पैर धो रहे थे उसमें उनके आंसू भी घुल गए। यह भगवान की अपने सखा के प्रति भाव का अद्भुत प्रसंग है। इससे पहले उन्होंने नवधा भक्ति के बारे में भी बताया। स्वामी जीे ने कहा कि ऐसे लोगों को कतई गुरू न बनाएं, जो तंत्र-मंत्र, झाड़-फूंक के चक्कर में भीड़ लगाए रहते हैं। वे उस सब्जी की दुकान की तरह हैं। जहां खूब भीड़ दिखाई दे जाएगी। संत का संग तो हीरे की दुकान की तरह है। जहां भीड़ दिखाई नहीं देगी। उन्होंने कहा कि राम मंत्र, कृष्ण मंत्र और नारायण मंत्र का जप करने लग जाओ भूत-प्रेत झाड़ने वालों की जरूरत नहीं पड़ेगी। जहां खड़े हो जाओगे सामने वाले का भी भूत भाग जाएगा।
तुलसी की कंठी माला और रूद्राक्ष को एक साथ धारण न करने की सलाह देते हुए कहा कि स्वामी जी ने कहा, शंकरजी ने रामजी से राम मंत्र लिया है। इससे रामजी, शंकर जी के गुरुदेव हुए। ऐसे में गुरु और शिष्य एक साथ बराबरी से एक साथ कैसे बैठ सकते हैं। कहना का आशय है मर्यादा को बनाए रखने के लिए तुलसी और रूद्राक्ष को एक साथ न धारण करें। इसी तरह जो बहनें पवित्रता का पूरा ध्यान रखती हैं वे शालीग्राम और हनुमानजी की पूजा कर सकती हैं। पवित्रता से ठाकुरजी की सेवा भी कर सकते हैं। स्वामी जी ने कहा कि संतों से आशीर्वाद ले लो तो आपका जीवन बन जाएगा। कथा के बाद हवन-पूजन हुआ और भंडारे में हजारों भक्ति प्रेमियों ने प्रसाद गृहण किया।
भागवत कथा में आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं मुख्य यजमान श्री ओम पाटीदार अधिवक्ता, अपेक्स बैंक हाउसिंग सोसायटी के अध्यक्ष श्री उमेश राहंगडाले, यहमान अरविंद रोहतगी उपस्थित थे। कथा मे विशेश सहयोग श्री कमल जहैन, श्री एचएस मिश्रा, श्री संजय रोहतगी, श्री विजय अग्रवाल, श्री प्रियदर्शी पाठक, श्री अभय प्रधान, श्री अनुराग नेमा, श्री ललित यादव एंव श्री आरएमएस पटेल उपाध्यक्ष का मिला।