इंदौर में ज्योतिरादित्य सिंधिया पहुंचे हों और सियासत न हो ऐसा बहुत कम हुआ है। सिंधिया ने शनिवार को एमपीसीए की मीटिंग में हिस्सा लिया। करीब पौन घंटे में बैठक का एजेंडा निपट गया। जिसमें इंदौर डिवीजन क्रिकेट एसोसिएशन (आईडीसीए) के मैदान का मसला और ग्वालियर में बन रहे एमपीसीए के स्टेडियम के लिए पैसे की मंजूरी, खास मद्दे थे। दोनों की मामलों में सर्वसम्मति निर्णय हो गया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस बार के इंदौर दौरे पर सियासत ज्यादा नहीं होने वाली है, क्योंकि सिंधिया इस मर्तबा कैलाश विजयवर्गीय के बुलावे पर आईडीसीए के जलसे में रविवार को शामिल होने वाले हैं। अब वैसे भी कैलाश और सिंधिया एक ही सियासी पार्टी ‘भाजपा’ के हो गए हैं। आईडीसीए की ओर अक्सर अमिताभ विजयवर्गीय (कैलाश के भाई) और उनके साथी एमपीसीए की मीटिंग में सवाल-जबाव करते थे। इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ। सौहार्दपूर्ण माहौल में मीटिंग बरीब सवा छह बजे शुरु हुई और सात बजे समाप्त हो गई। इसके बाद एमपीसीए का प्राइज डिस्ट्रीब्यूशन हुआ। रविवार के आईडीसीए के जलसे में वेंकटेश अय्यर और आवेश खान का सम्मान होना है। कैलाश और सिंधिया सियासी तौर से एक हो गए हैं। कैलाश भी चाहेंगे की उनके भाई को एमपीसीए में कोई बड़ा पद मिल जाए… मिल भी सकता है। कल भी अधिकांश पदाधिकारी सिंधिया के आसपास ही मडराएंगे। एमपीसीए के इसी साल चुनाव होना हैं। सबको पद चाहिए। जो पद पर हैं, वे एक टर्म और बने रहना चाहते हैं, जबकि अभिलाष खांडेकर को अध्यक्ष बनाने में मददगार रहे मिलिंद कनमड़ीकर भी इस बार अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठना चाह रहे हैं। सिंधिया के विश्वासपात्रों में सुमार हैं। अध्यक्ष के लिए सुधीर असनानी भी दौड़ में हैं, लेकिन मौन रहकर ही फतह करना चाह रहे हैं। उन्हें भरोसा है कि संजय जगदाले उनके लिए जरूर प्रयास करेंगे।
विजयवर्गीय की खिलाफत करने वाले असमंजस में:
जब सिंधिया कांग्रेस में हुआ करते थे, तब कैलाश विजयवर्गीय की खिलाफत करने वाले एमपीसीए के मेम्बर अब असमंजस की स्थिति में हैं। सिंधिया और कैलाश तो करीब-करीब एक हो गए हैं, लेकिन कैलाश को नाराज करने वालों को संमट नहीं पड़ रहा क्या करें? बताते हैं कैलाश की नाराजगी अभी बरकरार है