Sarfaraj Khan shakes hand with Yesh dube after his dismissal.

-बीपी श्रीवास्तव-
बेंगलुरू के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में मध्यप्रदेश क्रिकेट टीम इतिहास रचने की दहलीज पर है। यदि पांचवें और अंतिम दिन रविवार को सब कुछ पिछले चार दिन की तरह ही रहा तो रणजी ट्राॅफी क्रिकेट के इतिहास में मध्यप्रदेश पहली बार ट्राॅफी चूमेगा। चैथे दिन तक मध्यप्रदेश के खिलाफ मुंबई बैकफुट पर है। पहली पारी में मध्यप्रदेश ने 162 रन की महत्वपूर्ण बढ़त हासिल की थी, लेकिन मुंबई ने दो विकेट के नुकसान पर 113 रन बना लिए हैं। बावजूद, इसके अभी मप्र को 49 रन की बढ़त मिली हुई है।
कहानी 24 साल पुरानी यानी 1998, सी लग रही है। जब मप्र पहली बार रणजी ट्राॅफी क्रिकेट का फाइनल खेल रहा था। वैन्यु भी बेंगलुरू का यही एम चेन्नास्वामी स्टेडियम था। बस, प्रतिद्वंद्वि टीम कर्नाटक थी। अब की बार प्रतिद्वंद्वि 41 बार की चैंपियन मुंबई है। जिसे 47 बार फाइनल खेलने का अनुभव भी है। हालांकि मप्र के पास इस बार भी लीडर चंद्रकांत पंडित ही हैं। बस, अंतर इतना है कि पहले पंडित मैदान के अंदर-बाहर सब जगह रह कर बाॅसिंग करते थे अब सिर्फ मैदान के बाहर से कर रहे हैं। मतलब तब कप्तान की भूमिका में थे अभी कोच की।
मप्र के बेटर और बाॅलर्स ने अभी तक बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। लेकिन अग्नि परीक्षा अभी पूरी नहीं हुई है। पांच दिनी मैच में अंतिम दिन बहुत मायने रखता है और मुंबई जैसी टीम जब सामने हो तो क्रिकेट की सभी संभावनाओं को कतई नकारा नहीं जा सकता है। मुंबई के पास अब खोने के लिए कुछ नहीं बचा है, इसलिए मुबई क्रिकेट की सारी रणनीतियां अपनाएगा। मसलन, मुंबई रविवार को 90 ओवर में से 30-40 ओवर तेज बैटिंग कर मप्र को 150 या 200 रन का टारगेट दे सकता है। ऐसे में मप्र को मुंबई की रन गति को थामे रख कर ज्यादा से ज्यादा ओवर जल्द खत्म करने होंगे। जिससे बाद में कम ओवर की बैटिंग करना पड़े तथा जीत पक्की की जा सके। यह भी नहीं भूलना चाहिए कि मैच के आखिरी दिन के अंतिम दो शेषन में क्रिकेट अपने सारे रौद्र रूप दिखा सकता है। विकेट टूट चुका होगा। स्पिनर्स कोई भी उटल वंशी बजा सकते हैं। विकेट पर चैथे दिन ही इसका प्रभाव दिखने लगा है। मप्र के पुछल्ले बेटर और मुंबई के कप्तान पृथ्वी शाॅ , उनके जोड़ीदार ओपनर यशस्वी जायसवाल विकेट गंवा चुके हैं। रविवार को विकेट के क्या हालात होंगे, कहा नहीं जा सकता है। स्थितियों को भांपते हुए यदि मप्र खुद को संभाले रखा तो कप्तान आदित्य श्रीवास्तव और कोच चंद्रकांत पंडित की टीम इतिहास रचेगी… इसमें कोई दोमत नहीं है। यह खिताबी जीत मप्र के क्रिकेटरों की हौंसला अफजाई भी बहुत करेगी।
इतिहासः मप्र को अपने 24 साल पुराने इतिहास को नहीं भूलना चाहिए, जिसमें रणजी ट्राॅफी फाइनल-1998 में कर्नाटक के खिलाफ मप्र मैच के पांचवें और अंतिम दिन सस्ते में छह विकेट गंवाकर ट्राॅफी जीतने से वंचित रह गया था। तब, मप्र ने पहली पारी में 75 रन बढ़त ली थी और दूसरी पारी 150 रन पर सिमट गई थी। मैच में 96 रन से पराजय हाथ लगी थी।
संक्षिप्त स्कोरः
मुंबई पहली पारी 374 रन, दूसरी पारी 113/2, पृथ्वी शाॅ 47 रन, यशस्वी जायसवाल 78 रन, मप्र पहली पारी 536 रन. यश दुबे 133 रन, शुभव शर्मा 116 रन, रजत पाटीदार 122 रन, मप्र को 49 की बढ़त। पांचवे दिन का खेल शेष।